वही लेखनी सुनी जा रही जिसमें हास्य विनोदी वाणी।। वही लेखनी सुनी जा रही जिसमें हास्य विनोदी वाणी।।
और कोलाहल ? और कोलाहल ?
और फिर... और फिर...
और हम उनकी यादों में खोये रहते हैं... और हम उनकी यादों में खोये रहते हैं...
खाली माला लिए , गोशाला लिए खाली हाथों को ही झाड़ रहा है। खाली माला लिए , गोशाला लिए खाली हाथों को ही झाड़ रहा है।
कोरे कागज़ का टुकड़ा हूँ चाहे जैसा देखना चाहो दिखता वैसा हूँ।। कोरे कागज़ का टुकड़ा हूँ चाहे जैसा देखना चाहो दिखता वैसा हूँ।।